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बाइक टैक्सी का नया दौर: केंद्र की हरी झंडी, अब सस्ती सवारी का इंतजार!

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बाइक टैक्सी सेवाओं को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है, जिससे रैपिडो, ओला और उबर जैसी कंपनियों को राहत मिली है। 1 जुलाई 2025 को जारी किए गए मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशानिर्देश 2025 के तहत केंद्र ने निजी (गैर-परिवहन) मोटरसाइकिलों को टैक्सी के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी है। लेकिन इसकी मंजूरी अब राज्य सरकारों के हाथ में होगी। इस कदम से न केवल शहरी क्षेत्रों में सस्ती और तेज सवारी की सुविधा बढ़ेगी, बल्कि ट्रैफिक जाम और प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिलेगी।

क्या है नए नियम?
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने इन दिशानिर्देशों में उपयोगकर्ता सुरक्षा और चालक कल्याण को प्राथमिकता दी है। नए नियमों के अनुसार:

  • राज्य सरकारें निजी मोटरसाइकिलों को एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म्स (जैसे ओला, उ PLEASE, रैपिडो) के जरिए टैक्सी के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति दे सकती हैं।
  • राज्य सरकारें दैनिक, साप्ताहिक या 15 दिनों के आधार पर शुल्क लगा सकती हैं।
  • यह कदम रोजगार के अवसरों को बढ़ाएगा और सस्ती यात्रा को बढ़ावा देगा।

कंपनियों ने किया स्वागत
रैपिडो, उबर और ओला जैसी कंपनियों ने इस फैसले का स्वागत किया है। इन कंपनियों का कहना है कि इससे लाखों युवाओं को रोजगार मिलेगा और शहरी यातायात की समस्या कम होगी। हालांकि, कुछ राज्यों में चुनौतियां बनी हुई हैं। उदाहरण के लिए, कर्नाटक में 16 जून से बाइक टैक्सी सेवाओं पर रोक है।

राज्यों का रुख अहम
केंद्र ने साफ कर दिया है कि इस नीति का अमल राज्य सरकारों की मंजूरी पर निर्भर करेगा। कुछ राज्यों, जैसे महाराष्ट्र, ने केवल इलेक्ट्रिक बाइक टैक्सी को अनुमति देने की नीति बनाई है। इससे यह साफ होता है कि बाइक टैक्सी का भविष्य अब राज्यों के फैसले पर टिका है।

लोगों को क्या मिलेगा?

  • सस्ती सवारी: बाइक टैक्सी कार टैक्सी की तुलना में किफायती है।
  • रोजगार के अवसर: निजी बाइक और स्कूटर मालिक अब एप के जरिए कमाई कर सकते हैं।
  • पर्यावरण लाभ: कम ट्रैफिक और प्रदूषण में कमी।

चुनौतियां और भविष्य
हालांकि, कुछ राज्यों में बाइक टैक्सी सेवाओं को लेकर कानूनी अनिश्चितता बनी हुई है। कर्नाटक हाई कोर्ट ने स्पष्ट नियमों के अभाव में बाइक टैक्सी पर प्रतिबंध लगाया था। अब यह देखना होगा कि कितने राज्य केंद्र की इस सलाह को अपनाते हैं।

यह कदम शहरी गतिशीलता को नया आयाम दे सकता है, लेकिन इसकी सफलता राज्य सरकारों की नीतियों और उनके अमल पर निर्भर करेगी। क्या आपकी राय में बाइक टैक्सी शहरों की यातायात समस्या का समाधान बन सकती है?

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