भोपाल, 31 मई 2025: मालवा की महारानी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती ने पूरे भारत में उत्साह की लहर पैदा कर दी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर #AhilyaBaiHolkarAt300 ट्रेंड कर रहा है, जिसके पीछे मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सरकार का विशेष अभियान है। भोपाल में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया, साथ ही अहिल्याबाई को “नारी सशक्तिकरण और सुशासन की प्रतीक” बताया। महाराष्ट्र सरकार ने उनके जन्मस्थान अहमदनगर (अब अहिल्या नगर) में 681 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की घोषणा की।
X पर #AhilyaBaiHolkarAt300 से संबंधित पोस्ट्स में अहिल्याबाई के सामाजिक सुधार, धार्मिक कार्य, और प्रशासनिक कुशलता की प्रशंसा की गई है।
- @ANI (30 मई 2025): मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने घोषणा की कि अहिल्याबाई की 300वीं जयंती पूरे वर्ष मनाई जाएगी, जिसमें उनके सामाजिक और सांस्कृतिक योगदानों को उजागर किया जाएगा।
- @BJP4India (31 मई 2025): “लोकमाता अहिल्याबाई होलकर ने काशी विश्वनाथ मंदिर और सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया और देशभर में 30 से अधिक तीर्थों पर धर्मशालाएं बनवाईं।”
- @INCIndia: “अहिल्याबाई ने नारी शक्ति को नया आयाम दिया, उनकी विरासत आज भी प्रेरित करती है।”
- @KumariDiya (31 मई 2025): ग्रिशनेश्वर मंदिर (संभाजी नगर) और अन्य तीर्थों पर उनके द्वारा निर्मित धर्मशालाओं का उल्लेख किया।
- अन्य उपयोगकर्ताओं ने उनके द्वारा बनवाए गए मंदिरों, घाटों, कुओं, और विधवाओं के कल्याण जैसे कार्यों पर चर्चा की।
लोकमाता अहिल्याबाई: एक युग की निर्माता
31 मई 1725 को महाराष्ट्र के अहमदनगर के चौंड़ी गांव में जन्मीं अहिल्याबाई होलकर ने 1767 से 1795 तक मालवा साम्राज्य पर शासन किया। उनके पति खांडेराव होलकर की 1754 में कुम्भेर युद्ध में मृत्यु और ससुर मल्हार राव होलकर की 1766 में मृत्यु के बाद उन्होंने मालवा की बागडोर संभाली। उन्होंने न केवल अपने राज्य को मुगलों और विद्रोहियों से बचाया, बल्कि सामाजिक सुधार, धार्मिक कार्य, और आर्थिक समृद्धि के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया।
महत्वपूर्ण योगदान और सामाजिक सुधार
अहिल्याबाई ने अपने शासनकाल में समाज के हर वर्ग के लिए कार्य किया। उनके प्रमुख योगदानों में शामिल हैं:
- सामाजिक सुधार:
- विधवा कल्याण: उस समय विधवाओं की संपत्ति राजकोष में जब्त कर ली जाती थी। अहिल्याबाई ने इस कानून को बदलकर विधवाओं को संपत्ति का अधिकार दिलाया।
- महिला सशक्तिकरण: उन्होंने बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन दिया और अपनी बेटी मुक्ताबाई की शादी एक साधारण नागरिक यशवंतराव फणसे से कर सामाजिक समानता का उदाहरण पेश किया।
- कृषि और व्यापार: उन्होंने मालवा में कृषि और व्यापार को बढ़ावा दिया, विशेष रूप से महेश्वर में बुनकरों को बसाकर साड़ी उद्योग को नई पहचान दी।
- न्यायपूर्ण शासन: उनकी अदालतें निष्पक्ष थीं, और वे स्वयं प्रजा की समस्याएं सुनती थीं। उन्होंने भील समुदाय जैसे उपेक्षित वर्गों को मुख्यधारा में शामिल किया।
- सांस्कृतिक संरक्षण: उन्होंने मंदिरों, घाटों, और धर्मशालाओं का निर्माण अपनी निजी संपत्ति से करवाया, जिससे प्रजा पर कर का बोझ नहीं पड़ा।
मंदिर और धर्मशालाओं का निर्माण
अहिल्याबाई ने भारत के विभिन्न तीर्थस्थलों पर मंदिरों, घाटों, धर्मशालाओं, कुओं, और बावड़ियों का निर्माण और पुनर्निर्माण करवाया। उनके द्वारा निर्मित प्रमुख संरचनाओं की सूची और समयरेखा इस प्रकार है:
- काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी (1780): औरंगजेब द्वारा क्षतिग्रस्त इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया। यह 51 फीट ऊंचा पत्थर का मंदिर है, जिसमें सुनहरा शिखर है। मंदिर के रखरखाव के लिए उन्होंने आय की व्यवस्था भी की।
- सोमनाथ मंदिर, गुजरात (1783): महमूद गजनी और औरंगजेब द्वारा क्षतिग्रस्त इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया। उन्होंने सिंहद्वार और दालानों का निर्माण भी करवाया।
- मणिकर्णिका घाट, वाराणसी (1770 के दशक): गंगा किनारे इस घाट का पुनर्निर्माण करवाया, जो अंतिम संस्कार के लिए प्रसिद्ध है।
- दशाश्वमेध घाट, वाराणसी (1770 के दशक): गंगा आरती के लिए प्रसिद्ध इस घाट का निर्माण करवाया।
- लोलार्क कुंड, वाराणसी (1770 के दशक): तुलसी घाट के पास इस कुंड का कीमती पत्थरों से जीर्णोद्धार करवाया।
- बद्रीनाथ, उत्तराखंड (1770-80 के दशक): तीर्थयात्रियों के लिए धर्मशालाएं और भोजनालय बनवाए। उन्होंने सदाव्रत (निरंतर अन्न वितरण) की व्यवस्था की।
- केदारनाथ, उत्तराखंड (1770-80 के दशक): एक धर्मशाला का निर्माण करवाया।
- गंगोत्री, उत्तराखंड (1770-80 के दशक): विश्वनाथ, केदारनाथ, भैरव, और अन्नपूर्णा मंदिरों सहित 5-6 धर्मशालाएं बनवाईं।
- बिठूर, कानपुर (1770 के दशक): ब्रह्माघाट सहित गंगा नदी पर कई घाट बनवाए।
- ओंकारेश्वर, मध्य प्रदेश (1770-80 के दशक): एक बावड़ी और महादेव मंदिर में नित्य पूजन की लिंगार्चन व्यवस्था की।
- हंडिया, मध्य प्रदेश (1770-80 के दशक): नर्मदा तट पर एक धर्मशाला और भोजनालय बनवाया।
- गया, बिहार (1770-80 के दशक): विष्णुपद मंदिर के पास दो मंजिला मंदिर बनवाया, जिसमें राम, जानकी, लक्ष्मण, और हनुमान की मूर्तियां स्थापित कीं।
- अयोध्या, उत्तर प्रदेश (1770-80 के दशक): भगवान राम के मंदिर का निर्माण करवाया।
- नासिक, महाराष्ट्र (1770-80 के दशक): भगवान राम के मंदिर का निर्माण और भूमिगत सुरंग से जुड़ा मंदिर बनवाया।
- उज्जैन, मध्य प्रदेश (1770-80 के दशक): चिंतामणि गणपति मंदिर का निर्माण करवाया।
- सोमनाथ, गुजरात (1783): मुख्य मंदिर के अलावा मध्यम आकार का महादेव मंदिर बनवाया।
- त्र्यंबकेश्वर, महाराष्ट्र (1770-80 के दशक): पत्थर का तालाब और दो छोटे मंदिर बनवाए।
- पुष्कर, राजस्थान (1770-80 के दशक): एक मंदिर और धर्मशाला बनवाई।
- रामेश्वरम, तमिलनाडु (1770-80 के दशक): मंदिर और धर्मशालाएं बनवाईं।
- द्वारका, गुजरात (1770-80 के दशक): मंदिर और धर्मशालाएं बनवाईं।
- हरिद्वार, उत्तराखंड (1770-80 के दशक): मंदिर, घाट, और धर्मशालाएं बनवाईं।
- श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर (1770-80 के दशक): मंदिर और धर्मशालाएं बनवाईं।
- पुरी, ओडिशा (1770-80 के दशक): जगन्नाथ मंदिर के लिए छत्र दान किया, जो 600 वर्षों तक शोभा बढ़ाता रहा।
- महाबलेश्वर, महाराष्ट्र (1770-80 के दशक): मंदिर और धर्मशालाएं बनवाईं।
- पंढरपुर, महाराष्ट्र (1770-80 के दशक): मंदिर और धर्मशालाएं बनवाईं।
- परली वैजनाथ, महाराष्ट्र (1770-80 के दशक): ज्योतिर्लिंग मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया।
- श्रीशैलम, आंध्र प्रदेश (1770-80 के दशक): ज्योतिर्लिंग मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया।
- काठमांडू, नेपाल (1770-80 के दशक): पशुपतिनाथ मंदिर के लिए निर्माण कार्य करवाया।
- कुरुक्षेत्र, हरियाणा (1770-80 के दशक): मंदिर और धर्मशालाएं बनवाईं।
- उडुपी, कर्नाटक (1770-80 के दशक): मंदिर और धर्मशालाएं बनवाईं।
- गोकर्ण, कर्नाटक (1770-80 के दशक): मंदिर और धर्मशालाएं बनवाईं।
- मांडू, मध्य प्रदेश (1770-80 के दशक): नीलकंठ महादेव मंदिर का निर्माण करवाया।
- महेश्वर, मध्य प्रदेश (1767-95 के दौरान): नर्मदा तट पर घाट, मंदिर, और धर्मशालाएं बनवाईं।
- कलकत्ता से बनारस तक सड़क (1770-80 के दशक): तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए सड़क निर्माण करवाया।
- ग्रिशनेश्वर मंदिर, संभाजी नगर (1770-80 के दशक): इस ज्योतिर्लिंग मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया।
समयरेखा: अधिकांश निर्माण कार्य उनके शासनकाल (1767-1795) के दौरान, विशेष रूप से 1770-80 के दशक में हुए। काशी विश्वनाथ मंदिर (1780) और सोमनाथ मंदिर (1783) के लिए विशिष्ट वर्ष उपलब्ध हैं, जबकि अन्य कार्य उनके शासनकाल के दौरान विभिन्न समय पर पूरे किए गए।
अन्य निर्माण कार्य
- कुएं और बावड़ियां: उन्होंने देशभर में तीर्थस्थलों पर प्यासों के लिए प्याऊ और बावड़ियां बनवाईं।
- अन्नसत्र: भूखों के लिए अन्नक्षेत्र खोले, जैसे बद्रीनाथ में सदाव्रत।
- शिल्प और व्यापार: महेश्वर में बुनकरों को बसाकर साड़ी उद्योग को बढ़ावा दिया।
क्यों महत्वपूर्ण है उनकी विरासत?
अहिल्याबाई होलकर की विरासत इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्होंने मुगल आक्रमणों द्वारा क्षतिग्रस्त भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जनन दिया। उनके कार्य नारी सशक्तिकरण, सामाजिक समानता, और धार्मिक संरक्षण के प्रतीक हैं। उन्होंने अपने निजी धन से ये कार्य करवाए, जिससे प्रजा पर कोई अतिरिक्त कर नहीं पड़ा। उनकी नीतियां आज के भारत में समावेशी विकास और महिला सशक्तिकरण के लिए प्रेरणा हैं। मध्य प्रदेश सरकार ने उनके नाम पर स्कूल, अस्पताल, और सामुदायिक केंद्र खोलने की योजना बनाई है, जबकि महाराष्ट्र सरकार ने उनके जन्मस्थान पर स्मृति स्थल के लिए 681 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
राष्ट्रीय उत्सव और भविष्य की योजनाएं
मध्य प्रदेश सरकार ने पूरे वर्ष सांस्कृतिक और विकासात्मक कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है, जिसमें मालवा क्षेत्र में अहिल्याबाई के नाम पर स्कूल, अस्पताल, और सामुदायिक केंद्र शामिल हैं। भोपाल में आयोजित समारोह में हजारों लोग शामिल हुए। X पर उनके उद्धरण और कहानियां वायरल हो रही हैं
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