नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 2025 को “गगनयान वर्ष” के रूप में मना रहा है, क्योंकि भारत अपनी पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन, गगनयान, के लिए तैयार है। इसरो ने दिसंबर 2025 में गगनयान की पहली मानवरहित उड़ान की घोषणा की है, जिसमें व्योममित्रा, एक ह्यूमनॉइड रोबोट, अंतरिक्ष में भारत का प्रतिनिधित्व करेगा। यह मिशन भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा देश बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो स्वतंत्र रूप से मानव अंतरिक्ष उड़ान की क्षमता रखता है।
गगनयान मिशन क्या है?
गगनयान मिशन भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 2025 में लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों (जिन्हें व्योमयात्री कहा जाएगा) को अंतरिक्ष में भेजना है।
मिशन का रोडमैप और प्रगति
गगनयान मिशन का लक्ष्य तीन सदस्यों के दल को 400 किलोमीटर की निम्न पृथ्वी कक्षा में तीन दिन के लिए भेजना और फिर उन्हें सुरक्षित रूप से हिंद महासागर में उतारना है। इसरो के चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन ने हाल ही में घोषणा की कि दिसंबर 2025 में पहली मानवरहित उड़ान (G1) होगी, जिसमें व्योममित्रा अंतरिक्ष में मानव व्यवहार और जीवन समर्थन प्रणालियों का परीक्षण करेगा। इसके बाद 2026 में दो और मानवरहित उड़ानें (G2 और G3) होंगी, और पहली मानवयुक्त उड़ान (H1) 2027 की पहली तिमाही में निर्धारित है।
तकनीकी उपलब्धियां
इसरो ने गगनयान के लिए मानव-रेटेड लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (HLVM3) की तैयारी शुरू कर दी है, जिसमें क्रू एस्केप सिस्टम जैसे सुरक्षा उपाय शामिल हैं। हाल ही में भारतीय नौसेना के साथ किए गए “वेल डेक” रिकवरी ट्रायल और एकीकृत एयर ड्रॉप टेस्ट (IADT-01) ने क्रू मॉड्यूल की सुरक्षित वापसी की प्रक्रिया को मजबूत किया है। इसके अलावा, CE-20 क्रायोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के साथ ग्राउंड स्टेशन सपोर्ट के लिए समझौता इस मिशन की तकनीकी मजबूती को दर्शाता है।
गगनयात्री: भारत के अंतरिक्ष नायक
27 फरवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार गगनयात्रियों के नामों की घोषणा की: ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, अजीत कृष्णन, अंगद प्रताप और शुभांशु शुक्ला। ये भारतीय वायुसेना के पायलट हैं, जिन्होंने रूस और बेंगलुरु के इसरो प्रशिक्षण केंद्र में कठिन प्रशिक्षण प्राप्त किया है। शुभांशु शुक्ला ने 25 जून 2025 को Axiom-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा की, जिससे भारत को वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय में नई पहचान मिली।
वैश्विक सहयोग और भविष्य की योजनाएं
गगनयान मिशन न केवल भारत की तकनीकी क्षमता को प्रदर्शित करता है, बल्कि वैश्विक सहयोग को भी बढ़ावा देता है। इसरो ने ESA के साथ संचार और ट्रैकिंग के लिए समझौता किया है, और NASA के साथ Axiom-4 मिशन में सहयोग किया है। मिशन का विस्तार अब भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) के निर्माण और 2040 तक चंद्रमा पर मानव मिशन तक है। 2025 में ग्लोबल स्पेस एक्सप्लोरेशन समिट (GLEX) में भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों को वैश्विक मंच पर सराहा गया।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
गगनयान मिशन का बजट 20,193 करोड़ रुपये (2.32 बिलियन डॉलर) तक बढ़ाया गया है, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और अतिरिक्त मानवरहित मिशनों का खर्च शामिल है। यह मिशन न केवल तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देगा, बल्कि STEM क्षेत्र में युवाओं को प्रेरित करेगा और अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी को 2047 तक 1.5 ट्रिलियन डॉलर तक ले जाने में मदद करेगा।
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