उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है, जिसके तहत पिछले तीन सालों में 150 से ज्यादा लोगों को भ्रष्टाचार के मामलों में जेल भेजा जा चुका है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए धामी ने सख्त कदम उठाए हैं, जिसमें उत्तराखंड पेयजल निगम जैसे सार्वजनिक संस्थानों में भी जांच तेज हुई है। हाल ही में एक सब-इंस्पेक्टर को 1 लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया, जो धामी की इस मुहिम का हिस्सा है।
धामी ने 2023 में एक टोल-फ्री नंबर 1064 जारी किया था, जिसके जरिए नागरिक भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों की शिकायत दर्ज करा सकते हैं। राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार मुक्त ‘देवभूमि’ बनाने का संकल्प लिया है और नकल माफिया के खिलाफ भी सख्त कानून लागू किए गए हैं। अगर कोई भ्रष्टाचार में दोषी पाया जाता है, तो उसे आजीवन कारावास और संपत्ति जब्त करने की सजा हो सकती है। पेयजल निगम के कर्मचारियों की सेवा रिकॉर्ड की जांच भी शुरू की गई है, जिससे पारदर्शिता बढ़ाने की कोशिश हो रही है।
हालांकि, कुछ दावों जैसे 200 से ज्यादा अफसरों को 2002 से जेल भेजे जाने की बात की स्वतंत्र सत्यता अभी तक सामने नहीं आई है, जिस पर और जांच की जरूरत है। फिर भी, धामी की यह मुहिम राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक नई उम्मीद जगा रही है। क्या यह कदम उत्तराखंड को भ्रष्टाचार से मुक्त बना पाएंगे? यह तो आने वाला वक्त बताएगा।
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