नई दिल्ली/बीजिंग: दुनिया की दो सबसे बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। चीन ने 15 अक्टूबर 2025 को वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) में भारत के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। आरोप गंभीर है- भारत सरकार की इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) और बैटरी सेक्टर को दी जा रही भारी सब्सिडी से घरेलू कंपनियों को अनुचित फायदा मिल रहा है, जो चीन के हितों को नुकसान पहुंचा रही है। चीनी कॉमर्स मिनिस्ट्री ने इसे ‘नेशनल ट्रीटमेंट प्रिंसिपल’ का उल्लंघन और ‘इम्पोर्ट सब्स्टीट्यूशन सब्सिडी’ बताया है, जो WTO नियमों के साफ उल्लंघन के रूप में प्रतिबंधित है।
चीनी मिनिस्ट्री की स्टेटमेंट में कहा गया, “ये उपाय भारतीय घरेलू उद्योगों को अनफेयर कॉम्पिटिटिव एडवांटेज देते हैं और चीन के हितों को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं।” उन्होंने चेतावनी दी कि बीजिंग अपनी इंडस्ट्री के हक की रक्षा के लिए ‘फर्म मेजर्स’ लेगा। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यह शिकायत भारत के प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम को निशाना बना रही है, जो 2020 से EV और बैटरी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दे रही है। इस स्कीम से $24 बिलियन के इनवेस्टमेंट को बूस्ट मिला, लेकिन 2023 तक सिर्फ 14% फंड क्लेम किए गए।
भारत का EV सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है। 2030 तक $50 बिलियन का मार्केट टारगेट है, जिसमें 40% लोकलाइजेशन का लक्ष्य है। लेकिन EV एडॉप्शन अभी सिर्फ 2% है, जो दुनिया के अन्य देशों से सबसे कम है। दूसरी तरफ, चीन ग्लोबल EV बैटरी मार्केट का 78% कंट्रोल करता है और जनवरी-अगस्त 2025 में 2.01 मिलियन EV यूनिट्स एक्सपोर्ट किए, जो 51% सालाना बढ़ोतरी है। लिवमिंट की रिपोर्ट कहती है कि भारत की नेशनल क्रिटिकल मिनरल स्टॉकपाइल (NCMS) प्रोग्राम की प्लानिंग के बीच यह शिकायत आई है, जो रेयर अर्थ एलिमेंट्स को घरेलू स्तर पर उपलब्ध कराने का प्रयास है।
भारतीय कॉमर्स मिनिस्ट्री ने कहा है कि वो शिकायत की जांच करेगी और कंसल्टेशन प्रोसेस शुरू करेगी, जो WTO डिस्प्यूट सेटलमेंट का पहला स्टेप है। अगर 60 दिनों में सॉल्यूशन न मिला, तो चाइना पैनल रिक्वेस्ट कर सकता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह ट्रेड टेंशंस को और भड़का सकता है, खासकर जब भारत का चीन के साथ ट्रेड डेफिसिट बढ़ रहा है। CNBC-TV18 के एक पोस्ट में लिखा गया, “चाइना ने WTO में भारत के EV एंड बैटरी सब्सिडी पर शिकायत की, घरेलू इंडस्ट्री के हक की रक्षा के लिए रेजोल्यूट मेजर्स लेगा।”
फाइनेंशियल एक्सप्रेस के अनुसार, चाइना भारत के ऑटो मार्केट को बड़ा अवसर मानता है, लेकिन लोकल सोर्सिंग रूल्स से उसके एक्सपोर्टर्स को नुकसान हो रहा। द हिंदू की रिपोर्ट में कहा गया कि भारत की सब्सिडी स्कीम्स WTO ऑब्लिगेशंस का उल्लंघन करती हैं। न्यूज18 ने इसे ‘ग्रीन सब्सिडी पुश’ पर चाइना का हमला बताया। X पर #CNBCTV18Live का पोस्ट 414 लाइक्स के साथ वायरल हो गया, जहां यूजर्स ने इसे ‘स्ट्रैटेजिक जेब’ कहा।
यह विवाद भारत की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल को चुनौती देता है। EV सेक्टर में टाटा मोटर्स, एक्साइड, अमारा राजा जैसी कंपनियां फायदा उठा रही हैं, लेकिन ग्लोबल सप्लाई चेन शिफ्ट के बीच ट्रेड वॉर का खतरा मंडरा रहा है। क्या भारत अपनी पॉलिसी पर अड़ेगा या नेगोशिएट करेगा? WTO का फैसला आने तक दोनों देशों के बीच डिप्लोमेसी तेज हो सकती है। (सभी फैक्ट्स रॉयटर्स, लिवमिंट, द हिंदू, न्यूज18, फाइनेंशियल एक्सप्रेस और CNBC-TV18 से सत्यापित।)
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