त्योहारी सीजन में बाजार सज-धजकर बाजार सज गया है। दीवाली की चमक-दमक के बीच नई कार खरीदने का जुनून चरम पर है। लेकिन खुशी के इस दौर में एक कड़वी सच्चाई छिपी है – कई डीलर जल्दबाजी में डिफेक्टेड गाड़ियां थमा देते हैं। हाल ही में दिल्ली-एनसीआर के एक ग्राहक ने अपनी नई SUV की डिलीवरी ली, लेकिन कुछ दिनों बाद इंजन में खराबी आ गई। सर्विस सेंटर ले गए तो पता चला, फैक्ट्री से ही दोष था। लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी सिरदर्द! ये कोई पहला केस नहीं। न्यूज18 की रिपोर्ट के मुताबिक, फेस्टिव सीजन में ऐसे मामले बढ़ जाते हैं क्योंकि डीलर टारगेट पूरा करने की होड़ में PDI (प्री-डिलीवरी इंस्पेक्शन) को हल्के में ले लेते हैं।
PDI क्या है? ये कार की डिलीवरी से पहले होने वाली गहन जांच है, जो सुनिश्चित करती है कि गाड़ी बिना किसी दोष के ग्राहक तक पहुंचे। दैनिक भaskar की एक स्टोरी में बताया गया कि डीलर अक्सर छोटे-मोटे डिफेक्ट्स छिपा देते हैं, जैसे पेंट स्क्रैच या इलेक्ट्रिकल फेलियर। लेकिन स्मार्ट खरीदार PDI से इन सबको पकड़ लेते हैं। जगरण डॉट कॉम की रिपोर्ट भी यही कहती है – PDI न करने से नई कार सिरदर्द बन सकती है। सोशल मीडिया पर भी यही चर्चा है। दैनिक भास्कर के आधिकारिक ट्वीट में साफ कहा गया है: “कार खरीदने से पहले PDI क्यों जरूरी है और इसे कैसे किया जाता है…”। इसी तरह, इंडिया टीवी न्यूज ने चेतावनी दी – डिलीवरी से पहले डॉक्यूमेंट्स और गाड़ी की हर डिटेल चेक करें, वरना भुगतना पड़ेगा।
फेस्टिव सीजन में कार बिक्री रिकॉर्ड तोड़ रही है, लेकिन ग्राहकों को सावधान रहना होगा। फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) के अनुसार, इनवेंट्री 67-72 दिनों की हो चुकी है, जिससे डीलर जल्दबाजी में पुरानी स्टॉक क्लियर करने को मजबूर हैं। ऐसे में PDI आपका सबसे बड़ा हथियार है। आइए, जानते हैं 7 आसान स्टेप्स में PDI कैसे करें। ये चेकलिस्ट NDTV ऑटो और ऑटोकार इंडिया जैसी विश्वसनीय सोर्स से ली गई है, जो हर कार खरीदार के लिए फायदेमंद साबित होगी।
1. एक्सटीरियर की जांच: स्क्रैच और पेंट चेक करें
- गाड़ी को दिन की रोशनी में खड़ी करें। बंपर, साइड पैनल, रूफ और टायरों पर स्क्रैच या डेंट तो नहीं?
- गैप्स चेक करें – डोर, बोनट और फेंडर के बीच जगह बराबर होनी चाहिए। असमान गैप से पता चलता है कि रिपेयर हुआ है।
- टिप: फिंगर टेस्ट – उंगली से पेंट सर्फेस रगड़ें, अगर रफ लगे तो समस्या हो सकती है।
2. इंटीरियर का निरीक्षण: सीट्स और फीचर्स टेस्ट करें
- सीट्स, डैशबोर्ड और स्टीयरिंग पर धूल या दाग तो नहीं? एसी, ऑडियो सिस्टम और इंफोटेनमेंट चेक करें – सब स्मूथ काम करें।
- सनरूफ (अगर हो) खोलें-बंद करें। कार्पेट और फ्लोर मैट्स साफ हों।
- टिप: सभी बटन दबाकर देखें, कोई चरमराहट या लाइट फेलियर न हो।
3. इंजन और मैकेनिकल चेक: ऑयल और कनेक्शन देखें
- बोनट खोलें, इंजन ऑयल, कूलेंट लेवल चेक करें। सभी नट-बोल्ट टाइट हों।
- बैटरी कनेक्शन और वायरिंग इंस्पेक्ट करें। कोई लीकेज तो नहीं?
- टिप: इंजन स्टार्ट करें – कोई अजीब आवाज न आए।
4. इलेक्ट्रिकल और लाइट्स: सब ऑन करें
- हेडलाइट्स, टेललाइट्स, इंडिकेटर्स और ब्रेक लाइट्स टेस्ट करें। वाइपर और वॉशर काम करें।
- पावर विंडोज और सेंट्रल लॉकिंग चेक करें।
- टिप: नाइट विजन में लाइट्स की ब्राइटनेस देखें।
5. टायर्स और ब्रेक्स: सेफ्टी फर्स्ट
- टायर प्रेशर चेक करें (मैनुअल के अनुसार), ट्रेड डेप्थ मापें। स्पेयर टायर, जैक और टूलकिट मौजूद हो।
- ब्रेक्स दबाकर देखें – स्मूथ स्टॉप हो।
- टिप: रोड टेस्ट लें – कम स्पीड पर ब्रेक लगाएं, कोई वाइब्रेशन न हो।
6. डॉक्यूमेंट्स वेरिफाई: पेपरवर्क क्लियर हो
- इनवॉइस, रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC), इंश्योरेंस पॉलिसी चेक करें। VIN नंबर मैच करे।
- फैक्ट्री हैंडओवर स्लिप की डेट देखें – पुरानी न हो।
- टिप: PDI सर्टिफिकेट लें, जो डीलर की आधिकारिक जांच साबित करे।
7. रोड टेस्ट और फाइनल चेक: ड्राइव करके कन्फर्म करें
- 10-15 मिनट ड्राइव करें – स्टीयरिंग, गियर शिफ्ट और एक्सीलरेशन स्मूथ हो।
- कोई वाइब्रेशन या नॉइज न हो। फ्यूल लेवल पर्याप्त हो।
- टिप: अगर कोई समस्या मिले, तुरंत डीलर को बताएं और रिप्लेसमेंट डिमांड करें। रजिस्ट्रेशन से पहले ही ये करें।
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