मध्य पूर्व में इज़रायल और ईरान के बीच चल रहा युद्ध अब अपने नौवें दिन में प्रवेश कर चुका है, और स्थिति हर पल और गंभीर होती जा रही है। 13 जून को इज़रायल द्वारा ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों के बाद शुरू हुआ यह संघर्ष अब अमेरिका की भागीदारी के साथ और खतरनाक मोड़ ले चुका है। ईरान ने जवाबी कार्रवाई में इज़रायल पर सैकड़ों मिसाइलें और ड्रोन हमले किए, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है।
अमेरिका की एंट्री, ट्रम्प की धमकी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को घोषणा की कि अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों – फोरडो, नटांज़, और इस्फहान – पर हवाई हमले किए, जिन्हें उन्होंने “पूरी तरह नष्ट” होने का दावा किया। ट्रम्प ने चेतावनी दी कि अगर ईरान शांति नहीं बनाता, तो अमेरिका और हमले कर सकता है। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने अमेरिका को चेतावनी दी कि इस युद्ध में शामिल होना “सभी के लिए बहुत खतरनाक” होगा।
ईरान का जवाबी हमला और नुकसान
ईरान की ओर से पिछले एक हफ्ते में इज़रायल पर 450 से अधिक मिसाइलें दागी गईं, जिसके जवाब में इज़रायल ने ईरान के इस्फहान प्रांत में परमाणु अनुसंधान केंद्र और सैन्य ठिकानों पर हमले किए। ईरानी स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इज़रायल के हमलों में अब तक 430 लोग मारे गए हैं, जिनमें सैन्य कर्मी और आम नागरिक शामिल हैं। हालांकि, गैर-सरकारी संगठन ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट्स न्यूज़ एजेंसी का दावा है कि मरने वालों की संख्या 722 तक पहुंच चुकी है। ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने अमेरिका को “अपूरणीय परिणाम” की चेतावनी दी है, जबकि इज़रायल ने खामेनेई को “आधुनिक हिटलर” करार दिया।
सोशल मीडिया पर खामेनेई के पुराने ट्वीट्स की चर्चा
युद्ध के बीच, खामेनेई के दशक पुराने ट्वीट्स सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिनमें उन्होंने महिलाओं के अधिकारों और प्रेम जैसे विषयों पर उदार विचार व्यक्त किए थे। ये ट्वीट्स उनकी मौजूदा युद्धोन्मादी छवि के विपरीत हैं, जिससे नेटिज़न्स के बीच हास्य और आलोचना का माहौल बन गया है।
वैश्विक प्रतिक्रिया और कूटनीतिक प्रयास
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोआन ने ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु वार्ता को फिर से शुरू करने की वकालत की है, जबकि मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी ने इज़रायल के हमलों की निंदा की और बातचीत का रास्ता अपनाने की मांग की। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चेतावनी दी है कि यह संघर्ष पूरे क्षेत्र को अस्थिर कर सकता है।
भारत की भूमिका
भारत ने अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए “ऑपरेशन सिंधु” शुरू किया है, जिसके तहत अब तक 517 भारतीय नागरिकों को ईरान से सुरक्षित निकाला जा चुका है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि नेपाल और श्रीलंका के नागरिकों को भी निकालने के प्रयास किए जा रहे हैं।
क्या होगा भविष्य?
इज़रायल का दावा है कि उसके हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को दो से तीन साल पीछे धकेल दिया है, लेकिन फोरडो जैसे प्रमुख ठिकाने अभी भी पूरी तरह नष्ट नहीं हुए हैं। क्या यह युद्ध विश्व युद्ध का रूप लेगा, या कूटनीति इसे रोक पाएगी? पूरी दुनिया की निगाहें अब ट्रम्प के अगले कदम और ईरान की जवाबी कार्रवाई पर टिकी हैं।
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