आज, 26 अगस्त 2025 को मदर टेरेसा के 115वें जन्मदिन पर उन्हें मानवता की मूर्ति के रूप में याद किया, जो कोलकाता की गलियों में गरीबों की सेवा के लिए जानी जाती थीं। 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार और 1980 में भारत रत्न से सम्मानित, उन्हें 2016 में वेटिकन ने संत घोषित किया,
मदर टेरेसा: विस्तृत जानकारी
पृष्ठभूमि और प्रारंभिक जीवन
पूरा नाम: मेरी टेरेसा बोयाजहिउ (जन्म नाम: अंजेज़े गोंझे बोयाजहिउ)
जन्म तिथि: 26 अगस्त 1910 (आज, 26 अगस्त 2025 को उनकी 115वीं जन्म जयंती है)
जन्म स्थान: उस्कुब, जो उस समय ओटोमन साम्राज्य का हिस्सा था (अब उत्तरी मेसेडोनिया)
परिवार: एक धार्मिक कैथोलिक अल्बानियाई परिवार में पली-बढ़ी।
प्रारंभिक कदम: 18 साल की उम्र में 1928 में आयरलैंड की लोरेटो सिस्टर्स से जुड़ीं और 1929 में भारत आईं, जहां उन्होंने अपना अधिकांश जीवन बिताया।
मिशन और कार्य
- स्थापना: 1950 में कोलकाता में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की, जो सबसे गरीब लोगों की सेवा के लिए समर्पित थी।
- सेवा का फोकस: बीमार, अनाथ और मरने वालों की देखभाल, विशेष रूप से कोलकाता की झुग्गियों में। उनके कार्य में हॉस्पिस, अनाथालय और स्कूलों की स्थापना शामिल थी।
- वैश्विक पहुंच: उनकी संस्था 130 से अधिक देशों में फैली, और कोलकाता में उनकी मृत्यु तक 19 घर संचालित हो रहे थे।
पुरस्कार और सम्मान
- नोबेल शांति पुरस्कार: 1979 में नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी द्वारा “पीड़ित मानवता की मदद के लिए उनके कार्य” के लिए दिया गया
- भारत रत्न: भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 1980 में प्राप्त, जो केवल 49 लोगों को दिया गया
- पद्म श्री: 1962 में प्राप्त, एक और प्रतिष्ठित भारतीय नागरिक पुरस्कार।
- ऑर्डर ऑफ मेरिट: 1983 में रानी एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा सम्मानित।
- पैडरे पियो अवार्ड: 1992 में प्राप्त।
- कैननाइजेशन: पोप फ्रांसिस द्वारा 4 सितंबर 2016 को संत घोषित की गईं, जिसके बाद उनके चमत्कारों की जांच हुई थी।
विवाद और आलोचना
- धर्म परिवर्तन के आरोप: कुछ स्रोत, जैसे ओपइंडिया (2020) और वाशिंगटन पोस्ट, दावा करते हैं कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी में मरीजों पर धर्म परिवर्तन का दबाव डाला गया।
- चिकित्सा सुविधाओं की आलोचना: 2013 में रिलिजन्स जर्नल में अरूप चटर्जी की स्टडी और 2016 में लैंसेट के विश्लेषण ने उनकी सुविधाओं में खराब चिकित्सा देखभाल और प्रचार पर जोर देने का आरोप लगाया।
- क्रिस्टोफर हिचेन्स की टिप्पणी: 1994 में हिचेन्स ने उनकी छवि को चुनौती दी, दावा किया कि उनकी सेवा में आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी थी।
- वेटिकन का तेजी से निर्णय: 2017 के नेशनल ज्योग्राफिक के अनुसार, उनकी मृत्यु के 19 साल में संत घोषणा (आमतौर पर 100 साल से अधिक समय लेती है) को पोप जॉन पॉल द्वितीय के प्रभाव से जोड़ा गया।
मृत्यु और विरासत
- मृत्यु तिथि: 5 सितंबर 1997, कोलकाता में।
- विरासत: उनकी संस्था आज भी गरीबों की सेवा में सक्रिय है, लेकिन उनकी छवि पर विवाद उनके मिशन की चर्चा को प्रभावित करते हैं।

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