रबींद्रनाथ ठाकुर

रबींद्रनाथ ठाकुर की पुण्यतिथि पर जानें उनके अनसुने राज, जो बदल देंगे आपकी सोच!

7 अगस्त 2025, गुरुवार को भारत के महान कवि, दार्शनिक और राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ के रचयिता गुरुदेव रबींद्रनाथ ठाकुर की पुण्यतिथि मनाई जा रही है। आज से ठीक 84 साल पहले, 7 अगस्त 1941 को कोलकाता में उनका देहावसान हुआ था। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुबह 5:50 बजे अपने ट्वीट में गुरुदेव को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की, जिसमें उनकी नोबेल पुरस्कार (1913) जीत और साहित्य में योगदान को रेखांकित किया गया। उनके ट्वीट में दो तस्वीरें हैं, जो तिरंगे के रंगों से सजी हैं और गुरुदेव की विरासत को दर्शाती हैं।

रबींद्रनाथ ठाकुर ने सिर्फ साहित्य ही नहीं, बल्कि शिक्षा और मानवतावाद के क्षेत्र में भी क्रांति ला दी। 1921 में स्थापित विश्‍व-भारती विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन, जो 2023 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल बना, उनकी दूरदर्शी सोच का प्रतीक है। जहां मन निर्भय हो और सिर ऊंचा हो’ जैसी पंक्तियों से विश्व को प्रेरित किया। वहीं, उनके नोबेल पुरस्कार और बांग्लादेश व श्रीलंका के राष्ट्रीय गीतों में उनकी प्रेरणा को उजागर किया।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि ठाकुर ने बाद में पश्चिमी साम्राज्यवाद की आलोचना की थी? उनके 1916 के निबंध ‘नेशनलिज्म’ में उन्होंने राष्ट्रीयता के बंटवारे की चेतावनी दी, जो आज के वैश्विक संघर्षों में प्रासंगिक है। उनकी यह सोच उन्हें सिर्फ एक कवि से बढ़कर एक वैश्विक विचारक बनाती है। तो, इस पुण्यतिथि पर उनके अनसुने पहलुओं को जानकर आप भी उनके प्रति सम्मान में सिर झुकाएंगे!

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