अमेरिकी टैरिफ के बाद तेल आयात दोगुना

अमेरिकी टैरिफ के बाद तेल आयात दोगुना, 37 दवाओं की कीमतें घटीं: इस हफ्ते बाजार के 5 बड़े फैक्टर्स

नई दिल्ली: वैश्विक व्यापार और भारतीय अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वालों के लिए यह हफ्ता बड़े बदलावों का रहा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 25% टैरिफ के ऐलान ने भारतीय निर्यात को हिलाकर रख दिया, लेकिन भारत ने इसका जवाब अमेरिकी तेल आयात को दोगुना करके दिया। इसके साथ ही सरकार ने 37 जरूरी दवाओं की कीमतें घटाने का फैसला किया, जिससे आम जनता को राहत मिलने की उम्मीद है। आइए, इस हफ्ते बाजार को प्रभावित करने वाले 5 बड़े फैक्टर्स पर नजर डालते हैं।

1. अमेरिकी टैरिफ का असर और भारत का जवाब

अमेरिका ने 1 अगस्त 2025 से भारत से आयात होने वाले सामानों पर 25% टैरिफ लागू करने की घोषणा की थी, जो अब 7 अगस्त तक टल गई है। यह कदम भारत के रूस से तेल और सैन्य उपकरण खरीदने के जवाब में उठाया गया। अमेरिका का भारत के साथ व्यापार घाटा 2024 में 45.7 बिलियन डॉलर रहा, जो 2023 से 5.4% अधिक है। जवाब में, भारत ने अमेरिकी कच्चे तेल और गैस के आयात में रिकॉर्ड बढ़ोतरी की। जनवरी-जून 2025 में भारत ने 0.271 mb/d अमेरिकी तेल आयात किया, जो 2024 से 51% ज्यादा है। जुलाई 2025 में यह आयात जून के मुकाबले 23% बढ़ा, और अब अमेरिका भारत के कुल तेल आयात का 8% हिस्सा बन गया है।

2. 37 जरूरी दवाओं की कीमतों में कटौती

राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) ने 37 आवश्यक दवाओं की कीमतें कम करने का ऐलान किया। इनमें हृदय रोग, मधुमेह और दर्द निवारक दवाएं शामिल हैं। यह कदम स्वास्थ्य सेवाओं को और सस्ता करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। हालांकि, अमेरिकी टैरिफ की वजह से गैर-पेटेंट दवाओं की कीमतें बढ़ने की आशंका थी, लेकिन फार्मास्यूटिकल्स को टैरिफ से छूट दी गई है। भारत अमेरिका को 12.7 बिलियन डॉलर की जेनेरिक दवाएं निर्यात करता है, जो अमेरिकी हेल्थकेयर सिस्टम की लागत कम करने में अहम भूमिका निभाती हैं।

3. टैरिफ से प्रभावित सेक्टर

अमेरिकी टैरिफ का सबसे ज्यादा असर टेक्सटाइल, रत्न-आभूषण, ऑटोमोबाइल कंपोनेंट्स और समुद्री उत्पादों पर पड़ सकता है। भारत से अमेरिका को 2.5 अरब डॉलर के टेक्सटाइल और 9 अरब डॉलर के रत्न व समुद्री उत्पाद निर्यात होते हैं। 25% टैरिफ से इनकी कीमतें बढ़ेंगी, जिससे भारतीय निर्यातकों को वैकल्पिक बाजार तलाशने पड़ सकते हैं। हालांकि, अगर अमेरिका चीन और वियतनाम पर भी टैरिफ लगाता है, तो भारत कम लागत वाले कपड़ों में फायदा उठा सकता है।

4. तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव

अमेरिकी टैरिफ और रूस से तेल खरीद पर भारत के रुख के बीच कच्चे तेल की कीमतें अस्थिर रहीं। ट्रंप के बयान के बाद तेल की कीमतें नरम हुईं, लेकिन साप्ताहिक वृद्धि की संभावना बनी हुई है। भारत ने रूस से रियायती तेल खरीदना जारी रखा है, जिसने वैश्विक तेल कीमतों को स्थिर करने में मदद की। अगर भारत रूसी तेल खरीद बंद करता है, तो वैश्विक कीमतें 200 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं।

5. शेयर बाजार पर दबाव

टैरिफ की घोषणा के बाद भारतीय शेयर बाजार में गिरावट देखी गई। गिफ्ट निफ्टी फ्यूचर में 160 पॉइंट की गिरावट आई, और सेंसेक्स 786 अंक टूटकर 24,642 पर खुला। ऑटो, टेक्सटाइल और मेटल सेक्टर की कंपनियां सबसे ज्यादा प्रभावित हुईं। हालांकि, फार्मा और आईटी सेक्टर को टैरिफ से कुछ हद तक छूट मिलने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और अमेरिका के बीच जल्द ही सीमित व्यापार समझौता हो सकता है, जो टैरिफ के असर को कम कर सकता है।

क्या है भारत की रणनीति?

भारत अपनी ऊर्जा नीति को स्वतंत्र रखने पर जोर दे रहा है और अमेरिकी तेल आयात बढ़ाकर व्यापार घाटे को कम करने की कोशिश कर रहा है। साथ ही, सरकार दवाओं की कीमतें घटाकर घरेलू उपभोक्ताओं को राहत दे रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर तेजी से काम करना होगा, ताकि टैरिफ का असर कम हो और निर्यात बढ़े।

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