मुंबई, 15 जुलाई 2025: इलेक्ट्रिक वाहनों की दुनिया में तहलका मचाने वाली टेस्ला आखिरकार भारत में कदम रख चुकी है! 15 जुलाई 2025 को मुंबई के बैंड्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) में टेस्ला का पहला ‘एक्सपीरियंस सेंटर’ खुलने जा रहा है, जो भारत के ऑटोमोबाइल बाजार में एक नया अध्याय शुरू करेगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज दुनिया की सबसे मूल्यवान इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी कभी डूबने की कगार पर थी? आइए, टेस्ला की भारत में एंट्री और इसके रोमांचक इतिहास की कहानी जानते हैं।
टेस्ला की भारत में शुरुआत: मॉडल Y से होगी धमाकेदार एंट्री
रॉयटर्स और ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट्स के अनुसार, टेस्ला 15 जुलाई को मुंबई में अपना पहला शोरूम खोल रही है, जो 4000 वर्ग फुट के विशाल क्षेत्र में फैला है। यह शोरूम सिर्फ गाड़ियां बेचने की जगह नहीं, बल्कि एक प्रीमियम एक्सपीरियंस सेंटर होगा, जहां ग्राहक टेस्ला की अत्याधुनिक तकनीक, जैसे ऑटोपायलट और सुपरचार्जिंग, को करीब से देख सकेंगे। कंपनी ने अपने शंघाई प्लांट से मॉडल Y रियर-व्हील ड्राइव SUV की पहली खेप भारत भेज दी है, जिसकी कीमत लगभग ₹27.7 लाख है। हालांकि, 70% आयात शुल्क के कारण इसकी कीमत भारत में ₹40 लाख तक हो सकती है।
टेस्ला अगस्त 2025 से डिलीवरी शुरू करने की योजना बना रही है, और दिल्ली में दूसरा शोरूम जुलाई के अंत तक खुल सकता है। एक्स पर
@Tesla_India के आधिकारिक हैंडल ने एक टीजर पोस्ट किया, जिसमें लिखा था, “कमिंग सून… जुलाई 2025,” जिसने भारतीय ग्राहकों में उत्साह बढ़ा दिया है। कंपनी भारत में $2 बिलियन का निवेश करने की योजना बना रही है, जिसमें एक गिगाफैक्ट्री और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करना शामिल है।
2008 का संकट: जब मस्क रातों को नींद में चिल्लाते थे
टेस्ला की कहानी जितनी चमकदार आज है, उतनी ही मुश्किल भरी थी इसकी शुरुआत। 2003 में मार्टिन एबरहार्ड और मार्क टारपेनिंग ने टेस्ला की नींव रखी थी, लेकिन 2004 में एलॉन मस्क ने 65 लाख डॉलर का निवेश कर कंपनी के चेयरमैन का पद संभाला। 2008 में वैश्विक आर्थिक मंदी के दौरान टेस्ला दिवालिया होने की कगार पर थी। मस्क ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उस समय उनके पास कर्मचारियों की सैलरी देने तक के पैसे नहीं थे। उन्होंने अपनी पेपैल से मिली आखिरी रकम टेस्ला में लगाई और क्रिसमस की पूर्व संध्या 2008 को आखिरी मिनट में फंडिंग हासिल की। मस्क ने कहा, “मैं रात में नींद में चिल्लाता था, क्योंकि कंपनी का भविष्य अनिश्चित था।”
उस संकट से उबरकर मस्क ने टेस्ला को न केवल बचाया, बल्कि इसे दुनिया की सबसे मूल्यवान ऑटोमोबाइल कंपनी बनाया। आज टेस्ला का मार्केट कैप $1 ट्रिलियन से अधिक है, और मॉडल Y दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली इलेक्ट्रिक कार है।
भारत में टेस्ला का भविष्य: चुनौतियां और अवसर
टेस्ला की भारत में एंट्री ऐसे समय में हो रही है, जब यूरोप और चीन में इसकी बिक्री में गिरावट देखी जा रही है। भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार है, टेस्ला के लिए एक बड़ा अवसर है। सरकार की FAME-II योजना और आयात शुल्क में छूट (110% से 70%) ने टेस्ला के लिए रास्ता आसान किया है। केंद्रीय मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने कहा, “टेस्ला फिलहाल भारत में मैन्युफैक्चरिंग में रुचि नहीं दिखा रही, लेकिन शोरूम के जरिए बिक्री पर ध्यान दे रही है।”
हालांकि, उच्च आयात शुल्क और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी टेस्ला के लिए चुनौतियां हैं। “टेस्ला मुंबई और दिल्ली में शोरूम खोल रही है, लेकिन क्या भारत का मिडिल क्लास ₹40 लाख की गाड़ी खरीदेगा?” फिर भी, टेस्ला की प्रीमियम ब्रांडिंग और पर्यावरण के प्रति जागरूक युवाओं की बढ़ती मांग इसे सफलता दिला सकती है।
क्या टेस्ला बदलेगा भारत का ईवी बाजार?
टेस्ला की एंट्री से टाटा मोटर्स और महिंद्रा जैसी कंपनियों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि टेस्ला की अत्याधुनिक तकनीक भारतीय ईवी बाजार को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती है। साथ ही, यह भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा दे सकता है, अगर टेस्ला भविष्य में गिगाफैक्ट्री स्थापित करती है।
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