नई दिल्ली: भारत ने डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में दुनिया को पीछे छोड़ते हुए नंबर-1 का ताज हासिल कर लिया है। यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने न केवल भारत को डिजिटल क्रांति का चैंपियन बनाया, बल्कि हर महीने 18 अरब से ज्यादा ट्रांजैक्शन के साथ वैश्विक स्तर पर रिकॉर्ड कायम किया है। जून 2025 में UPI के जरिए ₹24.03 लाख करोड़ का कारोबार हुआ, जो पिछले साल की तुलना में 32% की शानदार वृद्धि को दर्शाता है।
UPI की रफ्तार ने बदली भारत की तस्वीर
UPI की रफ्तार ने बदली भारत की तस्वीर
2016 में नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा लॉन्च किया गया UPI आज भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन चुका है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की ताजा रिपोर्ट ने भी भारत की इस उपलब्धि की सराहना की है, जिसमें UPI को दुनिया की सबसे बड़ी रिटेल पेमेंट प्रणाली बताया गया। हर सेकंड लाखों रुपये का लेन-देन और गांव से लेकर विदेशों तक UPI की पहुंच ने इसे आम आदमी की जिंदगी का हिस्सा बना दिया।
जून 2025: आंकड़ों में UPI की ताकत
- ट्रांजैक्शन की संख्या: 18.39 अरब
- कुल कारोबार: ₹24.03 लाख करोड़
- वृद्धि दर: पिछले साल के 13.88 अरब ट्रांजैक्शन की तुलना में 32% की उछाल
- वैश्विक हिस्सेदारी: ग्लोबल रियल-टाइम पेमेंट्स में भारत की हिस्सेदारी करीब 50%
NPCI के नए नियमों ने UPI को और तेज बनाया है। 16 जून 2025 से लागू नियमों के तहत अब पेमेंट प्रोसेसिंग का समय 30 सेकंड से घटकर 15 सेकंड हो गया है, जिससे पेंडिंग ट्रांजैक्शन की समस्या भी कम हुई है।
UPI की वैश्विक उड़ान
UPI की पहुंच अब भारत तक सीमित नहीं है। फ्रांस, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात, भूटान, और कतर जैसे देशों में भी UPI का इस्तेमाल शुरू हो चुका है। हाल ही में वेब समिट कतर 2025 में भारत के राजदूत विपुल ने ऐलान किया कि कतर में भारतीय अब QR कोड और मोबाइल नंबर के जरिए आसानी से पेमेंट कर सकते हैं। यह भारत और इन देशों के बीच आर्थिक साझेदारी को और मजबूत कर रहा है।
सुरक्षा में भी अव्वल
30 जून 2025 से लागू नए नियम के तहत UPI पेमेंट करते समय रिसीवर का बैंक में रजिस्टर्ड असली नाम स्क्रीन पर दिखेगा, जिससे फ्रॉड की आशंका कम होगी। हालांकि, NPCI ने यूजर्स को फर्जी QR कोड और AI वॉयस क्लोनिंग जैसे स्कैम से सावधान रहने की सलाह दी है।
सरकार का समर्थन, भविष्य की राह
वित्त मंत्रालय ने साफ किया है कि UPI ट्रांजैक्शन पर कोई MDR (मर्चेंट डिस्काउंट रेट) चार्ज लगाने की योजना नहीं है, जिससे यह मुफ्त और सुविधाजनक बना रहेगा। सरकार की डिजिटल इंडिया पहल और JAM (जन-धन, आधार, मोबाइल) त्रिकोण ने 90 करोड़ से ज्यादा लोगों को वित्तीय सेवाओं से जोड़ा है, जिसका श्रेय UPI की सुलभता को जाता है।
UPI का भविष्य
PwC इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2028-29 तक UPI ट्रांजैक्शन की संख्या 439 अरब तक पहुंच सकती है, जो कुल रिटेल डिजिटल पेमेंट का 91% होगा। UPI ने न केवल नकद और कार्ड पेमेंट को पीछे छोड़ा, बल्कि छोटे व्यापारियों और उपभोक्ताओं को कम लागत पर ऋण उपलब्ध कराने में भी मदद की है।
भारत की इस डिजिटल क्रांति ने न केवल अर्थव्यवस्था को गति दी, बल्कि दुनिया को दिखा दिया कि तकनीक और नवाचार के दम पर कैसे एक देश वैश्विक नेतृत्व हासिल कर सकता है।
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