29 मई 2025 को ओडिशा के पुरी से शुरू हुआ “विकसित कृषि संकल्प अभियान” सोशल मीडिया और समाचारों में छाया हुआ है। यह अभियान, जो 12 जून 2025 तक देश के 700 से अधिक जिलों में चलेगा, भारत के 1.5 करोड़ से ज्यादा किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों और सरकारी योजनाओं से जोड़ने का वादा करता है। लेकिन क्या यह वाकई किसानों की जिंदगी बदल देगा? आइए, इस अभियान की गहराई में उतरकर इसके तथ्यों, प्रभाव और सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं का विश्लेषण करें।
अभियान का उद्देश्य और ढांचा
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस अभियान को “एक देश, एक कृषि, एक टीम” का नारा देते हुए लॉन्च किया। इसका लक्ष्य खरीफ सीजन से पहले किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड, ड्रोन तकनीक, प्राकृतिक खेती, और फसल विविधीकरण जैसी नवीनतम तकनीकों से अवगत कराना है। 2000 से अधिक वैज्ञानिक दल और 731 कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) इस अभियान में शामिल हैं, जो किसानों को सीधे खेतों तक वैज्ञानिक सलाह और समाधान पहुंचाएंगे।
सोशल मीडिया पर
@AgriGoI ने ट्वीट किया:
“विकसित भारत, समृद्ध किसान। 29 मई से 12 जून 2025 तक, देश के 700 जिलों में 2000 से अधिक वैज्ञानिक दलों की भागीदारी से ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ का शुभारंभ। यह केवल एक अभियान नहीं, बल्कि किसानों की समृद्धि और कृषि में नवाचार को जोड़ने वाला राष्ट्रीय संकल्प है।”
सोशल मीडिया पर चर्चा
X पर इस अभियान को लेकर उत्साह और सवाल दोनों देखने को मिल रहे हैं।
@PIBHindi ने ट्वीट में कहा:
“भगवान जगन्नाथ जी की पुण्यधरा पुरी से आज ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ का शुभारंभ हो रहा है। वैज्ञानिक अब लैब में ही नहीं बैठेंगे, बल्कि लैंड तक भी पहुंचेंगे।”
कई यूजर्स इसे किसानों की आय बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में क्रांतिकारी कदम मान रहे हैं।
@CIFRI_ICAR ने लिखा:
“विज्ञान आपके खेतों तक, गाँवों तक। तो आइए, जुड़ते हैं इस राष्ट्रव्यापी प्रयास से। विकसित खेती, विकसित किसान, विकसित भारत!”
हालांकि, कुछ यूजर्स ने सवाल उठाए हैं कि क्या यह अभियान जमीनी स्तर पर उतना प्रभावी होगा, जितना दावा किया जा रहा है। एक यूजर ने लिखा, “ऐसे अभियान पहले भी आए, लेकिन छोटे किसानों तक कितना लाभ पहुंचा? सरकार को लागू करने पर ध्यान देना चाहिए।” यह सवाल इसलिए भी प्रासंगिक है क्योंकि भारत में छोटे और सीमांत किसानों की संख्या 80% से अधिक है, और उनके लिए तकनीकी पहुंच और संसाधन सीमित रहते हैं।
क्या है खास?
- खरीफ फसल पर फोकस: अभियान खरीफ सीजन के लिए किसानों को बीज, उर्वरक, और तकनीकी जानकारी प्रदान करेगा। झारखंड में 25 मई को बीज दिवस के साथ इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी थीं।
- प्राकृतिक और जैविक खेती: @dmamroha ने ट्वीट किया कि जनपद में किसानों को प्राकृतिक और जैविक खेती के साथ-साथ उत्पाद की गुणवत्ता सुधारने की जानकारी दी जाएगी।
- वैज्ञानिकों की सीधी भागीदारी: 2000 से अधिक वैज्ञानिक दल खेतों तक पहुंचकर किसानों को प्रशिक्षण देंगे, जो पहले केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित था।
- ड्रोन और तकनीक: ड्रोन प्रौद्योगिकी और मृदा स्वास्थ्य कार्ड आधारित फसल चयन पर जोर, जिससे उत्पादकता और पर्यावरण संरक्षण दोनों को बढ़ावा मिले।
चुनौतियां और आलोचनाएं
X पर कुछ यूजर्स ने इस अभियान को लेकर सवाल उठाए हैं। एक यूजर ने लिखा, “क्या यह अभियान छोटे किसानों तक पहुंचेगा, जिनके पास ड्रोन या आधुनिक तकनीक के लिए संसाधन नहीं हैं?” यह एक वाजिब सवाल है, क्योंकि भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की कमी और डिजिटल जागरूकता का अभाव बड़े मुद्दे हैं। इसके अलावा, पिछले कुछ सरकारी अभियानों की तरह, इसकी सफलता कार्यान्वयन पर निर्भर करेगी।
क्या यह वाकई क्रांतिकारी है?
“विकसित कृषि संकल्प अभियान” निश्चित रूप से महत्वाकांक्षी है। यह किसानों को वैज्ञानिक खेती की ओर ले जाने और उनकी आय दोगुनी करने के सरकार के वादे को मजबूत करने की कोशिश है।
@pushkardhami ने ट्वीट में इसे “नवभारत के निर्माण की दिशा में क्रांतिकारी पहल” बताया। लेकिन, जैसा कि कई यूजर्स ने X पर कहा, “वादे बड़े हैं, लेकिन असल बदलाव खेतों में दिखना चाहिए।”
निष्कर्ष
यह अभियान भारतीय कृषि के लिए एक सुनहरा अवसर हो सकता है, बशर्ते इसे जमीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू किया जाए। सोशल मीडिया पर इसका समर्थन और आलोचना दोनों इसे चर्चा में बनाए हुए हैं। अगर आप किसान हैं या इस अभियान से जुड़े हैं, तो अपने अनुभव और विचार साझा करें। क्या यह वाकई भारतीय कृषि को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा, या यह सिर्फ एक और सरकारी योजना बनकर रह जाएगी? समय ही बताएगा।
संबंधित लिंक: